जंगल कथा 🐯
जंगल के किस्से और उन किस्सों को सुनाने वाले का वह अंदाज जो हमारे ज़हन में रोमांच और भय का एक मिश्रण भर देता है कि हम जब कभी जंगल के बीच गुज़रते हुए मन बाघ को एक नजर देख लेने की आस में उत्सुक नज़र आ रह होता है, अरे कहीं एक बार बस बाघ नज़र आ जाये तभी बस शांति की अपील सुनाई देती है और जंगल के बीचों-बीच हमें कुछ चीतल नज़र आ जाते है बिल्कुल चौकन्ने क्योंकि जानवर हो या पक्षियों का झुंड उनमे अगर तीन खा रहे होते हैं तो दो चौकीदारी कर रहे होते है क्योंकि उनको भी क़ुदरत ने यह पाठ पढ़ा रखा है सचेत रहो कहीं कोई तुम्हारी घात में न हो और ज़रा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है |
जब छात्र परीक्षा कक्ष में मास्टर साहब की नज़रों से बचकर नक़ल करने का प्रयास में होता है तो वो भी अपने भाव से डर को छिपाने की कोशिश ज़रूर कर रहा होता है मगर अक्सर पकड़ जाता है क्योंकि उसका व्यवहार उसके डर को उजागर कर देता है.
जंगल में चलिए लौटते हैं एक सांकेतिक आवाज़ हमारे महावत ने दूसरे महावत से सुनी ओर तभी हमारा हाथी दो क़दम बड़कर रूक गया तब माजरा समझ में आया की बाघ की क़रीब में होने का एहसास हाथी को भी हो चुका था और वह आगे क़दम न बढ़ाने की ज़िद पर अडिग हो चुका था जबकि महावत अंकुश को अपने तजुर्बे के हिसाब उसको आगे चलने को प्रेरित कर रहा था |
हैरत की बात है इतना विशालकाय जीव भी डर के ऐहसास से अवगत था और एहतियात बरत रहा था और वो यूँ ही नहीं ऐसा हैरतअंगेज व्यवहार कर रहा था यह इसलिए कर रहा था क्योंकि उसने भी रोज़ जंगल जाते जाते महावत द्वारा बाघ की आमद पर रुकने का संकेत पाकर उसके अंदर भी वो भय की प्रवृति को भर दिया था, क्योंकि वह हाथी महावत के प्रशिक्षण में ही इस क़बिल बना था कि वो जंगल के ऊँचे नीचे रास्तों पर सहजता से चल सके.
बाघ तो जब हमारे सामने आता है वो ज़्यादातर या तो हमें देखकर ठहर जाता है कुछ देर के लिए या फिर गुर्राते हुए हमे हमारी हद का एहसास करता है और फिर चुपचाप चला जाता है जंगलो के बीच बिना किसी भय के |
जंगली हाथियों में भय नहीं होता जंगल में गुज़रते हुए क्योंकि उनकी शिक्षा क़ुदरत ने इस प्रकार से की होती है कि वह डरकर भागने के बजाय मुक़ाबला करने की प्रवृति मे ज्यादा यक़ीन रखते हैं और बाघ को भी जंगल में राज करने के लिए हिम्मती होना हितकारी होता है | यह किस्सा जो असल मेंने अपने कुछ दिन जंगल में बिताए तजुर्बे के आधार पर लिखा है यह कोई वैज्ञानिक अनुसंधान या विश्लेषण का हिस्सा नही है.... मैं एक वन्यजीव प्रेमी होने के नाते वन्यजीवों की प्रवृति को समझने का प्रयास करता रहता हूँ और वन्यजीवों संबंधित पुस्तकों से भी ज्ञान अर्जित करता रहता हूं... जंगल और उसके जीव सभी हमारे सम्मान के हक़दार है क्योंकि उनका किरदार हमारे क़ुदरती माहौल को अनुकूल बनाये रखने में बहुत अहम है और हम आप इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं ||{ उरूज शाहिद}
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